नवपुराण-नवइतिहास / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
ने पुराणक वस्त्र पुरना, नग्नवसना ने नवीना
अंतरंगक अंग शुचि वहिरंग रुचि रंजन प्रवीना
आइ नव परिवेश शेष विशेष वेषक रचब रचना
कवि! हमर छवि आँकबे नव वृत्त प्राची-पटल घटना
नवयुगक अवतरण, नव प्राचेतसक संबोधना हित
सूत - शौनक नवे, व्यासो अभिनवे, युग कल्पना नित
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कनककशिपुक क्रूरतासँ जखन युग - प्रहलाद ताडित
तखन भवनक खंभसँ प्रगटय दियौ नरसिंह नादित
निगम मणिकेँ लुटय आबय देखु, कटु कनकाक्ष क्रूरे
महामीनक अवतरण हित जनक मन करबे अधीरे
यदि च दितिजक दुराग्रह डुबबय चहय वसुधाक धूजा
की न उचित महावराहक विकट दन्तावलिक पूजा?
सिन्धु मन्थन हित यदि च सुर - असुर संहति सर्जना हो
शेष रज्जुक योजना हित कमठ पीठक अर्चना हो
दानदर्पी बली बलि, पुनि वामनी संवर्धना हो
अमृत छीनय सुरासेवी, मोहिनीक प्रवर्तना हो
यदि च मिझबय सहसभुज जमदग्नि अग्नि बहाय झंझा
प्रखर परशु थम्हायबे शुभ की न रामक सुदृढ़ पंजा?
यदि च पुनि भूदेव दुर्दम, शैव शक्तिक दुष्प्रयोगी
वध अवधि अवधक किशोरक पाणि धनु - वाणक प्रयोगी
आइ मर्यादा - पुरुष - लीला - वपुष अवतरण संगहि
आइ बुद्ध - प्रबुद्ध कल्किक कल्प संकल्पक प्रसंगहिँ
पंचदेवक पांचभौतिकता उपर देवत्व दुर्भर
आइ देवत्वक प्रतिष्ठा मानवक निष्ठाक ऊपर
सूर शूरक रूप रूपित, गणपतिहु गणतंत्र पूरक
पच देवहु संचमंच रिपु - प्रपचक मंच चूरक
आइ गौरी बनथु श्यामा, शिव जखन शव बनल भूतल
योगमाया सजग जगबथु शेषशयी पुरुष सूतल
ज्योति लिंग इरोत सून - मसान नहि जनपथहु चमकओ
स्फुरित शक्तिक पीठशक्तिक स्रोत जलथल सगर उमड़ओ
रक्तबीजक रक्त अणु - परमाणु चाटथु क्रुर काली
शारदा विज्ञान वैभव, अन्नपूर्णा शस्य - शाली
देवयानी कच - कलापक आइ जदू कच उपर नहि
साधना संजीवनीकेर लगन लागल मनहि जखनहि
आइ पार्थक चित्तपट नहि खचित सुरबालाक छवि धन
पाशुपत व्रत जखन संकल्पित, न भय कल्पित छनहु मन
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आइ पुनि सुर - असुर संग्रामक नवल इतिहास घटना
सिन्धु मंथन हित विहित प्रतिनिधि करय नवसृष्टि रचना
पद्य - पद्मक संग गद्य - गदाक घूर्णित गति प्रखर हो
शंख ध्वनि पुनि चक्र चंक्रम प्रेरणामय अभय वर हो