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नहीं इस पार रहना है, नहीं उस पार जाना है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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नहीं इस पार रहना है, नहीं उस पार जाना है।
मुहब्बत में मुझे यारो, उसे फिर घर बुलाना है।।
गये परदेश जो साथी, भटकते आज भी वह हैं।
इधर परिवार भूखे हैं, उधर मिलता न खाना है।।
गरीबी है गरीबांे को, अभी भी जान पर आफत।
जिसे अभिशाप कहते हैं, मिटाकर घर बसाना है।।
गरीबी को मिटाने का, नहीं सरकार का मकसद।
इरादा साफ जाहिर है, गरीबों को मिटाना है।।
भला चाहो अगर तुम तो, खड़े हो पैर पर अपने।
करो मिहनत सभी मिलकर, जमा करना खजाना है।।
नहीं मुहताज होना है, किसी के सामने जाकर।
खुदा दौलत अगर है तो, खुदा को पास आना है।।