भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नहीं तो / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि मेरे देश में

गाँधी और नेहरू जैसों ने

जन्म नहीं लिया होता

तो --

हैवानियत के शिकंजे

हमारे हाथों-पाँवों में

कसे होते !

यहाँ

वहाँ

सभी जगह

मौत के सौदागर बसे होते !

हम

जो आज

तेज़ी से बढ़ते जाते हैं,

नये, मज़बूत और सुन्दर भारत को

फ़ौलादी दृढ़ता से

गढ़ते जाते हैं,

नयी रोशनी की किरणें

फैलाते

अज्ञान की अँधेरियों से

लड़ते जाते हैं;

घुटनों-घुटनों

फ़िरक़ापरस्ती की दलदल में

धँसे होते,


हम सब

बदरंग हो गये होते,

दिलों से

बेहद तंग हो गये होते !

हमारे एकता के स्वप्न सारे

टूटते,

पशुबल समर्थक

समृद्धि सारी

लूटते !