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नाक / सांवर दइया
Kavita Kosh से
पैली तो
नाक राखण खातर
पगां हेठै दाबली
म्हैं खुद
म्हारी अकल
अबै
चौईसूं घंटा घूमै
आंख्यां आगै
सूदखोर साहूकार री
सूगली सकल ।