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नाच बँदरिया / शंभूप्रसाद श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
डमक-डमक-डम, डम-डम-डम
नाच बँदरिया छम-छम-छम!
तेरा बंदर है शौकीन,
पहने है कपड़े रंगीन,
नेकटाई चश्मा, पतलून,
घर है उसका देहरादून,
नहीं किसी साहब से कम,
नाच बँदरिया छम-छम-छम!
तू पहने कुरती-सलवार,
लाल दुपट्टा बूटेदार,
कंगन, टीका, झुमका, हार,
नकली गहनों की भरमार,
गहने चमकें चम-चम-चम!
नाच बँदरिया छम-छम-छम!
तुम दोनों दिखलाते खेल
बच्चों को सिखलाते खेल,
कहाँ सीखकर आते खेल
सबका मन बहलाते खेल,
खूब बजाते ताली हम,
नाच बँदरिया छम-छम-छम!
बैठ मदारी गाता है
तेरा बह कराता है,
जब तू चलती है ससुराल,
खी-खी करती दाँत निकाल,
हँसते-हँसते फूले दम,
नाच बँदरिया छम-छम-छम!