भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाज़ उसका उठा लिया मैंने / ईश्वरदत्त अंजुम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
नाज़ उसका उठा लिया मैंने
एक फ़ित्ना जगा लिया मैंने

प्यार होता है आग का शोला
दिल का दामन जला लिया मैंने

गर्द से दिल को आश्ना कर के
सब को अपना बना लिया मैंने

ऐ सनम तेरी इक खुशी के लिए
कोह ग़म का उठा लिया मैंने

मिल गया उसका नक़्शे-पा जिस जा
अपने सर को झुका लिया मैंने

हर तनफफुर को भूल कर दिल में
खुद को ऊंचा उठा लिया मैंने

राहे-हक़ पर चलूंगा मैं अंजुम
ये इरादा बना लिया मैंने