नाना वाचमेन / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
नाना वाचमैन
भूतपूर्व जवान
जैसा होना चाहिए वैसा तगड़ा बन्दा
मुक्का मारकर नारियल फोड़ देता
दिल खोल के हँसता
नमस्ते भी करता दिल खोल कर मुस्कुराते हुए
भीतर-बाहर से समान निर्मल मन का
अख़बार के कार्यालय में होते हुए भी, नाना
नाना कभी अख़बार पढ़ते हुए नज़र नहीं आया
कभी किसी नाटक, सिनेमा
या सभा में भी भाषण सुनने नहीं गया
यूनियन की मीटिंग के समय
ईमानदारी से गेट पर तैनात रहता
खाने-पीने में कभी ढिलाई नहीं करता
देखनेवाले को ही अपच हो जाए
इतना मटन खाता था, नल्लियाँ तोड़ता था
इसके अलावा बताने जैसा
और कुछ भी नहीं है नाना के बारे में
हार्टअटैक का झटका आने पर
नाना को भर्ती किया गया बड़े अस्पताल में
प्राण-पखेरू उड़ने को तत्पर
बढ़ रही थी अस्पताल के बिल की रक़म
और चला गया नाना
क़र्ज़ का एक बड़ा-सा पहाड़ पीछे छोड़कर
इसलिए घर वालों को लम्बे समय तक याद रहेगा
मूसलाधार बरसात हो रही थी जब नाना गया
पानी ही पानी हर तरफ़, अगल-बगल
सूखा जलावन तक नहीं कहीं भी
गीला-गच्च था सबकुछ
बरसात ने ठिठुरा दिया था सभी को
प्रश्न यह था
क्या किया जाए नाना की देह का?
घर वालों ने नहीं किया विचार
आगे-पीछे का
और
गहरे गड्ढे में दफना दिया उसे
कोई ख़बर भी नहीं आई कहीं भी छपकर
तब भी अग्रलेख की प्रगतिशीलता पर
भारी ही रही नाना की मौत
याद आ गई एक पुरानी ख़बर
जाने-माने नाना साहब, जिन्होंने गाए ज़िन्दगी भर
प्रगतिशीलता के गान,
उनकी अस्थियाँ कृष्णा नदी में विसर्जित करने
आए थे उनके रिश्तेदार, दूर पूना से
याद आई ये एक पुरानी ख़बर
नाना वाचमैन को दफ़न करने की बात सुनने पर ...
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत