नानी की कहानी / प्रकाश मनु
मेरी नानी, प्यारी नानी
रोज सुनाती नई कहानी।
किसी देश का था एक राजा
बड़ा शिकारी था वह पक्का,
रानी सुंदर थी, दर्पण में
दिखता काबुल, दिखता मक्का।
भोले-से एक राजकुँवर को
मिली कहीं एक सोनपरी थी,
बाल सुनहरे सोने-जैसे
संग फूलों की एक छड़ी थी।
राजकुँवर ने नदियाँ-जंगल
पार किया, फिरा हरा समंदर,
वहाँ हंस थे उजले-उजले
और ऊधमी था एक बंदर।
फिर आए बौने, बौनों की
एक कतार थी अपरंपार,
दुष्ट दैत्य जब निकला, सबने
मिलकर उस पर किया प्रहार!
बढ़ती जाती अजब कहानी
चढ़ती जाती अजब कहानी,
हर बाधा से, हर मुश्किल से
लड़ती जाती अजब कहानी।
ओर-छोर कुछ पता नहीं है
किन रस्तों पर बढ़ती जाती,
खत्म न होती कभी कहानी
पर नानी तो थकती जाती।
कथा सुनाते जाने क्यों फिर
खो जाती है प्यारी नानी,
कभी-कभी तो जैसे सचमुच
सो जाती है प्यारी नानी!
मैं कहता-‘नानी, ओ नानी,
कुछ आगे की कथा सुनाओ,
किस जंगल में राजकुँवर है
सोन परी का हाल बताओ!’
‘हूँ-हूँ’ कर उठती है नानी,
कहने लगती वही कहानी,
मेरी नानी, प्यारी नानी,
रोज सुनाती नई कहानी!