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नामा गया कोई न कोई नामाबर गया / सीमाब अकबराबादी
Kavita Kosh से
नामा गया कोई न कोई नामाबर गया|
तेरी ख़बर न आई ज़माना गुज़र गया|
[नामा=पत्र; नामाबर=डाकिया]
हँसता हूँ यूँ कि हिज्र की रातें गुज़र गईं,
रोता हूँ यूँ कि लुत्फ़-ए-दुआ-ए-सहर गया|
[हिज्र=ज़ुदाई; लुत्फ़=मज़ा; दुआ=प्रार्थना;सहर=शाम]]
अब मुझ को है क़रार तो सब को क़रार है,
दिल क्या ठहर गया कि ज़माना गुज़र गया|
या रब नहीं मैं वाक़िफ़-ए-रुदाद-ए-ज़िन्दगी,
इतना ही याद है कि जिया और मर गया|
[वाक़िफ़=जान पहचान; रुदाद=बताना या कहना]