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नाम बह्रों का रटके क्या होगा / आर्य हरीश कोशलपुरी

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नाम बह्रों का रटके क्या होगा
कथ्य से यारों कटके क्या होगा

जिसमें हालाते हाज़रा हो नै
ऐसे गीतों से सटके क्या होगा

इतनी मंहगाई है ख़ुदारा की
दाम घट जाए घटके क्या होगा

पेट पालूँ या इश्क फरमाऊँ
दिल का सौदा है पटके क्या होगा

मीत पैसा तो ठग के आता है
ख़ेत में इतना खटके क्या होगा

बेंच देती है अपनी क़ुरबानी
ऐसी सीमा पे डटके क्या होगा