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नाराजगी / विश्राम राठोड़
Kavita Kosh से
यूँ नाराज भी होना
हर किसी को नसीब नहीं होता
नाराज में आवाज़ दिखे
हर किसी ख़ुशनसीब नहीं होता
ख़ुशनसीब है वह लोग जो नाराजगी में दिखतें है
चुप रहने वालो का तो
आज तक भी आगाज नहीं होता
यूँ नाराज भी होना
हर किसी को नसीब नहीं होता
नाराज में आवाज़ दिखे हर किसी ख़ुशनसीब नहीं होता
ख़ुशनसीब है वह लोग जो नाराज
चुप रहने वालो का तो
आज तक भी आगाज नहीं होता