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नारी / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
Kavita Kosh से
अपने को नष्ट कर
तादात्म्य के क्षणों में,
सृजन का बीज बोटी है.
दूसरों के लिए जीने मरने के सिद्धांत को व्यवहार करती है.