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नाव चली / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
नाव चली जी, नाव चली,
देखो-देखो, नाव चली।
लहरों पर तिरती जाती है,
थर-थर-थर बहती जाती है।
जाएगी यह नानी के घर,
बोल उठेगी नानी चुनमुन
नाव तुम्हारी है सुंदर!