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नासदीय सूक्त, ऋग्वेद - 10 / 129 / 6 / कुमार मुकुल

उ प्रकृति तत्‍व के
के जानेला
के ओकर बर्नन करी
कि आख्रिर
कवना कारण से
इ सृष्टि
कइसे आकार लेलक
देवतो लोग
इ सृष्टि के बादे
आकार लेले बाड़न
ए से
के बता सकेला
कि इ सृष्टि कैइसे भइल ॥6॥

को आद्धा वेद क इह प्र वोचत्कुत आजाता कुत इयं विसृष्टिः।
अर्वाग्देवा अस्य विसर्जनेनाथा को वेद यत आबभूव ॥6॥