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ना उधर देखिये ना इधर देखिये / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

ना उधर देखिये ना इधर देखिये।
दिल जिधर चाहता हो उधर देखिये।।

प्यार में मत किसी को रुलाया करें।
रूप को मत निहारंे जिगर देखिये।।

आप सबकी ग़ज़ल सुन मचल हम गये।
रोक पाये नहीं इस कदर देखिये।।

हैं तमाशा बने इस जहाँ में सभी।
सब मजा लूटते हैं जिधर देखिये।।

आपसे जब मुलाकात होती नहीं।
दिल कबूतर बना इक नज़र देखिये।।

रात में नींद आती नहीं है मुझे।
आँख हैरान है हर पहर देखिये।।