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ना तै जल कै खो दूं ज्यान टकासी जी मुट्ठी में ले रह्या / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों जब पवन को यह पक्की तसल्ली हो जाती है कि अंजना शायद जरूर मर ली होगी तो वह जंगल में जलकर मरने के लिए कुछ लकड़ियां इकट्ठी करके चिता बना लेता है और जल कर मरने की तैयारी करता है और क्या कहता है-

कितै ल्हुकरी हो तै बोल पड़ै नै कद का रुक्के दे रह्या
ना तै जल कै खो दूं ज्यान टकासी जी मुट्ठी में ले रह्या।टेक

मन मैं फिकर करूं कोन्या बुआ बहाण भाई की
सभी गर्जना छोड़ दई मनै यारी असनाई की
अंजना गौरी मिलण चली गई प्यारी थी भाई की
उसनै भी कुछ मेर करी ना अपणी मां जाई की
सिर कै उपर तै ताज तार कै धरती कै म्हां गेर्या

पवन पति कैसी बोल कालजे में नागिन सी लड़गी
बे माता म्हारा मेल मिला कै धरती मैं बड़गी
प्रेम रूप की झाल उठकै देही मैं चढ़गी
वो भी घर तै लिकड़ग्या इसी के पटकी पड़गी
भाज दौड़ कै ले लण दे नै मेरे साजन का बेरा।

बालक पंण की उम्र दुसरे लूट मैं आग्या
दिवे तलै अंधेरा होग्या ओट मैं आग्या
ऐरण उपर लाल धरा मैं चोट मैं आग्या
पणमेशर कै न्याय होगा तेरे खोट मैं आग्या
जिऊं इतनै रै जिन्दगीभर खतावार रहूं तेरा।

महेन्द्रपुर तै उठकै अंजना रात नै आई
नदी नाले खूब बहैं थे बिचलगी राही
बेमाता म्हारा मेल मिला दे जय दुर्गे माई
बोल सुणे पर दिख्या कोन्या मेरी ननद का भाई
बड़े प्रेम तै ब्याही थी मनै बांध कै नै सेहरा।

मैं अपणे घरां नहीं घरक्यां का चालग्या हांगा
तेरे बिना ना अंजना गौरी अन्न जल खांगा
पवन पति तै सोच लिया तनै बिल्कुल भूखा नांगा
तेरे बिना अंजना देवी कती नहीं जीउंगा
रत्नपुरी का राज करूंगा पहलम लागै तेरा फेरा।

पवन पति कैसी बोल कालजे में आण कै लागी
दक्षिण में तै उठकै अंजना पूर्व मेंआगी
न्यू तै मैं भी जाणुं या जिन्दगी फिरते फिरते जागी
उनके भाग बड़े हो जिन की रली चीज पागी
आग बलै जब न्यू दिखै जणुं बलै सन्त का डेरा।

मेरे की तरियां रात अंधेरी न्यूंऐ झुकरी हो तै
बोल पड़ै नै अंजना गोरी कितै ल्हुकरी हो तै
किसे तरियां ल्यूं काढ तनै फंदे में फंसरी हो तै
हाथ फेर कै दिखादे अंजना चन्द्रमा का चेहरा।