भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निकालें दिल से डर मुश्किल बहुत है / अशोक आलोक
Kavita Kosh से
निकाले दिल से डर मुश्किल बहुत है
करे पूरा सफ़र मुश्किल बहुत है।
बहारें लौटकर आए किसी दिन
उदासी में गुज़र मुश्किल बहुत है।
किसी भी हाल में बेदाग़ रहना
किसी में ये हुनर मुश्किल बहुत है।
न जाने क्या हुआ है इस जहां को
खुला हो कोई दर मुश्किल बहुत है।
भले ही पास है मंज़िल हमारी
इसे छू लूं मगर मुश्किल बहुत है।