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निज़ामुद्दीन-2 / देवी प्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
गली से निकला तो एक
पेड़ मिल गया और गिन कर
बता सकूँ तो इक्कीस चिडि़याँ
थोड़ा और बढ़ा
तो पता लगा सत्रह बच्चे मिले
और एक पेड़ के बाद इक्कीस और पेड़
यह उस रास्ते का हाल है जिसे मैं हिन्दी साहित्य की तरह बियाबान
वगैरह कहता रहा था
फिर जो लड़की मिली वह तो
तीसरी या चौथी परम्परा सरीखी थी। दुबली-सी।
पता ये लगा कि वह जीनत थी
जो मेरठ यूनिवर्सिटी से बी०ए० करने के बाद
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से
अँग्रेज़ी में एम०ए० करना चाहती थी
मतलब कि जिस लड़की ने कभी
1857 में अँग्रेज़ों को बाहर करने की मुहिम चलाई थी