निज गेह को नेह तजो तटनी
धरनी अधरान को प्यार दिया
जिस घाट गई उस घाट घटी
हर प्यास पे जीवन वार दिया
कर पावन नित्य अपावन को
मन के मनका को बार दिया
फिर क्या न दिया तुमने नदिया
जग ने जो कहा न दिया नदिया
निज गेह को नेह तजो तटनी
धरनी अधरान को प्यार दिया
जिस घाट गई उस घाट घटी
हर प्यास पे जीवन वार दिया
कर पावन नित्य अपावन को
मन के मनका को बार दिया
फिर क्या न दिया तुमने नदिया
जग ने जो कहा न दिया नदिया