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निज भाषा / प्रेमरंजन अनिमेष

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उन्नतिशील एक देश में

जब हम छोटे थे

बोली गूँजती थी हमारे घर में
उसी में बोलते-बतियाते परिजन
और पाठशाला में
अपनी सीखने की भाषा थी
हिन्दी

अब जब बड़े हुए
घर में हिन्दी बोलते
और स्कूल में
हमारे बच्चों को शिक्षा
अँग्रेज़ी में दी जाती

(हालाँकि दाखिला कराया
जानबूझकर सोच-समझ कर
अखिल भारतीय हिन्दी माध्यम विद्यालय में
पर आज के दिन अपने देश में
हिन्दी माध्यम शिक्षा वह है
जहाँ हिन्दी विषय की पढ़ाई हिन्दी में होती
बाकी हर जगह अँग्रेज़ी ही साधन साध्य
बच्चे यानी देश के भविष्य जिसके लिए बाध्य)

कल हमारे बच्चे जब बड़े होंगे
और उनके बच्चे स्कूल में
आसार यही कि यह द्वंद्व समाप्त हो चुका होगा

तब घर में भी अँग्रेज़ी होगी
बाहर भी
पढाई और कामकाज का जरिया तो बेशक वही

इस तरह फिलहाल जो चल रही
एक बड़ी विसंगति
जाती रहेगी

सदन के मन प्रांगण से तो
जा चुकी पहले ही...!