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निम्नमध्यवर्ग का गीत / शांति सुमन

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भैया जब घर आता है
तब ऐसा होता है ।

चिन्ता करते बाबूजी की
खाँसी नहीं दुहरती
बिना दवा खाये माँ
घर में आना-जाना करती
छोटी बहना जान गई
मन कैसा होता है ।

पिछले भादो में रेहन पर
लगे आम-अमरूद
भैया उन्हें छुड़ाएगा
पाई-पाई सूद
मुनुवा कैसे भूले सब कुछ
पैसा होता है ।

भाभी की पहनी है साड़ी
रंग नहीं छूटे
घर की परिपाटी है
जीते जी कैसे टूटे
टोले भर में बाँटेगी
जी, वैसा होता है ।