भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निशाने पर अब / सदानंद सुमन
Kavita Kosh से
उनकी जेब में है दुनिया
हम दुनिया में हैं,
उनको है अधिकार, करे चाहे जो
हमपर लगी है पाबंदियाँ!
उनके ठेंगे पर है हर कायदा
हम घूम रहे लेकर कायदे की किताब!
उनके कदमों में है हर ऊँचाई
हमारी झुक गई है गर्दन!
उनको है फ़ख्र खुद पर
हमारे निशाने पर है अब उनका फ़ख्र!