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निषिद्ध / बोधिसत्व
Kavita Kosh से
कोई याद आता है
आरती के समय,
भोग लगाते समय,
जलाभिषेक के समय
नींद के समय
कभी-कभी एकदम रात में
जब घंटियाँ रो रही होती हैं पूजा की
जब शंख भीतर ही भीतर
सुबक रहे होते हैं
कोई याद आता है, निषिद्ध !