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निहत्थे आदमी के हाथ में / माधव कौशिक
Kavita Kosh से
(निहत्थे आदमी के हाथ में/ माधव कौशिक से पुनर्निर्देशित)
निहत्थे आदमी के हाथ में हिम्मत ही काफी है।
हवा का रुख बदलने के लिए चाहत ही काफी है।
ज़रूरत ही नहीं अहसास को अलफाज़ की कोई,
समुदर की तरह अहसास में शिद्दत ही काफी है।
मुबारक हों तुम्हें जीने के अंदाज़ शहरों में,
हमें तो गाँवों में मरने की बस राहत ही काफी है।
बड़े हथियार लिए जंग़ में शामिल हुए लोगों,
बुराई से निपटने के लिए क़ुदरत ही काफी है।
किसी दिलदार की दीवार क़िस्मत में नहीं तो क्या,
ये छप्पर, झोंपड़े, खपरैल की यह छत ही काफी है।