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नींद-६ : ओ नींद ... ओ नींद ... / सुरेन्द्र स्निग्ध

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प्रेमिका की मीठी मुस्कान
और मीठे स्पर्श की तरह
लुभावनी और प्यारी लग रही है
मेरी नींद ।

नन्हें शिशु की नर्म और
गर्म हथेलियों की तरह
थपकी दे रही है
मेरी नींद ।

सम्भोग के सुखद क्षणों के
बाद की नींद की तरह
मदहोश कर रही है
मेरी नींद ।

ओ नींद
आज मैं तुम्हारे साथ
खेलूँगा
तुम जागो
जागो मेरे साथ ।

जगी हैं सिर्फ़
बसों की आवाज़ें
जगी हुई है मेरी
क़लम
ओ कविते !
तुम भी जागो मेरे साथ ।