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नींद-1 / मणिका दास

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शाम उतरने पर दूरदराज के गाँव में
एक लोरी
बहकर आती है
फूस के छप्पर के नीचे से
"हमारी मुन्नी सोएगी..."

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार