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नींद न आने की स्थिति में लिखी कविता: दो / शरद कोकास

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नींद को कहीं
नज़र न लग गई हो
चचा ग़ालिब की
उन्हें मौत का ख़ौफ था
हमें ज़िन्दगी का है
 
आश्चर्य !
पीने के बावज़ूद
उन्हें नींद नहीं आती थी
 
आसमान की ओर देखते हुए
कोशिश में हूँ
बूझने की
चचा ग़ालिब ने यह शेर
शादी से पहले लिखा था
या बाद में।