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नींद से सबको जगाता था यहाँ / भवेश दिलशाद

नींद से सबको जगाता था यहाँ
इक फ़क़ीरा गीत गाता था यहाँ

था तो नाबीना मगर वो अस्ल में
ज़िन्दगी कितनी दिखाता था यहाँ

ताकती हैं खिड़कियाँ उम्मीद से
पहले अक्सर कोई आता था यहाँ

कह रहा है गाँव बूढ़ा दूर जा
जब जवाँ था तो बुलाता था यहाँ

बेहया कमबख़्त पागल बदतमीज़
मैं भी कितने नाम पाता था यहाँ