भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नींद / मनमोहन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दक्षिण दिशा में
गया है एक नीला घोड़ा

बहुत घने मुलायम अयाल हैं

और आँखें हैं गहरी
काली और सजल

नंगी है उसकी पीठ

पर्वतों से गुज़रता
वह दक्षिण दिशा के

बादलों में दाख़िल
हो चुका है