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नींव / कविता पनिया
Kavita Kosh से
नींव की कोई ज़मीन नहीं होती
जहाँ से काम शुरू किया जाता है
उसे नींव का नाम दिया जाता है
नींव की वह पहली ईंट
सफलता का शिखर बनाती है
मजबूती का अहसास करवाती है
सशक्त विचारों से प्रारंभ होती है
फिर कर्म से एक नया इतिहास बनाती है
नींव की कोई ज़मीन नहीं होती