नील परी / हरिवंशराय बच्चन
सीपी में नील-परी सागर तरें,
सीपी में.
बंसी उस पार बजी,
नयनों की नाव सजी,
पलकों की पालें उसासें भरें,
सीपी में.
अंधड़ आकाश चढ़ा,
झोंकों का जोर बढ़ा,
शोर बढ़ा,बादल औ'बिजली लड़े,
सीपी में.
सीपी में नील-परी सागर तरें,
सीपी में.
आर नहीं, पार नहीं,
तुन का आधार नहीं,
झेल रही लहरों का वार लहरें,
सीपी में.
सीपी में नील-परी सागर तरें,
सीपी में.
अब किसको याद करें,
किससे फरियाद करे,
आज भरे नयनों से मोती झरे,
सीपी में.
सीपी में नील-परी सागर तरें,
सीपी में.
सहसा उजियार हुआ,
बेड़ा भी पार हुआ,
पी का दीदार हुआ,
मोदभरी नील-परी पी को वरें,
सीपी में.
सीपी में नील-परी सागर तरें,
सीपी में.