भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस / हरेराम बाजपेयी 'आश'
Kavita Kosh से
धरती-सा चौड़ा सीना था और आसमान-सी ऊंचाई
गंगा जमुना बाहें जिसकी सागर तट उसकी लम्बाई
ज्वालामुखी जागा दे शब्दों से
ऐसा था वाणी में जोश
भारत माँ का अप्रतिम बेटा
नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस॥1॥
खून के बदले आजादी,
यह अद्द्भुद उनका नारा था,
तन-मन धन से सबसे ज्यादा,
देश ही उनको प्यारा था,
पाने बल बूते पर जिसने,
आजाद कर लिया हिन्दुस्तान
आजाद हिन्द के उस नायक को
शत शत प्रणाम, शत-शत प्रणाम॥2॥
अपनी भाषा अपनी संस्कृति
यह भी उनका नारा था
हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा
इसमें ही ललकारा था
उठो देश के वीर सपूतों
अब आजादी बिन मत रहना
शीश कटे कट जाए, जोश से
भारत माँ की जय कहना॥3॥