भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नेता लोगे घुमै लागे / रफ़ीक शादानी
Kavita Kosh से
नेता लोगे घुमै लागे,
अपनी-अपनी जजमानी मा.
उठौ काहिलऊ, छोरौ खिचरी
मारो हाथ बिरयानी मा.
इहई वार्ता होति रही कल,
रामदास-रमजानी मा.
दूध कई मटकी धरेउ न भईया,
बिल्ली के निगरानी मा.