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नेह नाता / संतोष कुमार
Kavita Kosh से
दरकल जाता नेह नाता के दीवाल
टूटल जाता / अपनापन
घटल जाता / भईयारी फाटल जाता
सम्बन्ध के चादर सियाई कइसे?
जब केहु के फुर्सते नइखे
प्इसा बटोरला से /
रोपेया सहोरला से
धन अगोरला से / त नेह के नेव में
पानी के पटाई?
नेक नियत के / सुघर विचार के
के पाटी नाता रिस्ता में
आइल दरार के
जवान पइसा के चोट से दरकल बा
अंहकार के भार से भरकल बा
आँख चर्बीयाइल बा
त नेह नाता के मोल कहवाँ बुझाई?
सभे सवारथे में लागल बा
त नेह नाता बालू के भीत नियर
ढ़हबे करी / भरभरा के टूटबे करी
टाटी नियर चरमरा के
परेम के गीत के गाई?
काहे कि
देह से नेह ओराइल जाता
तबे नू नाता
रिस्ता के आँख लोराइल जाता।