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नैन मिले अनमोल / शतदल
Kavita Kosh से
जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !
इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली ।
इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल !
जोगन, नैन मिले अनमोल !
सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना ।
नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल ।