भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नौ सपने / भाग 9 / अमृता प्रीतम
Kavita Kosh से
<< पिछला पृष्ठ | पृष्ठ सारणी | अगला पृष्ठ |
मेरा कार्तिक धर्मी,
मेरी ज़िन्दगी सुकर्मी
मेरी कोख की धूनी,
काते आगे की पूनी
दीप देह का जला,
तिनका प्रकाश का छुआ
बुलाओ धरती की दाई,
मेरा पहला जापा...