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नौ हाइकु / कोबायाशी इस्सा / सौरभ राय
Kavita Kosh से
हलकी आहट
कौन चला आ रहा है
धुन्ध में?
बह जाओ
मेरी बर्फ़ भी…
चिकुमा नदी
मैं जा रहा हूँ,
मक्खियो ! आराम करो,
प्रेम करो।
बुद्ध की छवि के नीचे
वसन्त के फूल
क्लान्त।
मेरे पास
आकर खेलो
मातृहीन गौरैया।
क़ब्रिस्तान में
बूढ़े कुत्ते
रास्ता दिखाते।
बर्फ़ पिघलती
गाँव में बाढ़ आई
बच्चों की।
कीड़े भी हम जैसे
कुछ गाते
कुछ नहीं गाते।
नहीं गिरूँगी
झील में मैं –
चिड़िया चिढ़ाती।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय