न्यूयार्क के लिए एक क़ब्र-6 / अदोनिस
हार्लेम और लिंकन सेण्टर के बीच,
मैं टहला किया, एक काली भोर के दाँतों से घिरी हुई
रेगिस्तान में खोई हुई एक संख्या ।
वहाँ न बर्फ़ थी, न हवा ।
मैं उस जैसा हूँ जो किसी प्रेत का पीछा कर रहा हो (चेहरा कोई चेहरा नहीं
एक घाव है या आँसू; आकृति कोई आकृति नहीं एक सूखा गुलाब है)
एक प्रेत -– (क्या वह कोई स्त्री है ? कोई पुरुष ? कोइ स्त्री-पुरुष ?) अपने सीने में लिए जा रहा है
एक धनुष और जगह की तलाश में घात लगाए बैठा है । एक हिरन वहाँ से गुज़रा
और उसने उसे धरती बताया । एक चिड़िया नज़र आई
और उसने उसे चन्द्रमा बताया । और मैं जान गया कि
वह फ़िलिस्तीन और उसकी बहनों में
एक रेड इन्डियन के पुनरुज्जीवन की घटता देखने के लिए दौड़ रहा था …
अन्तरिक्ष था गोलियों का एक रिबन,
और धरती हत्या किया गया एक पर्दा ।
और मुझे महसूस हुआ कि मैं लहराता हुआ एक अणु हूँ
जो लहराता हुआ जा रहा है क्षितिज की तरफ, क्षितिज, क्षितिज ।
और मैं उतरा घाटियों में लम्बा खींचता हुआ समानान्तर भागता हुआ ।
और मुझे धरती के गोल होने पर संशय करने का मन हुआ …
और घर के भीतर थी यारा
यारा दूसरी धरती का आखिरी छोर है
और निनार
दूसरा छोर ।
मैंने न्यूयॉर्क को रखा कोष्ठकों में और एक समानान्तर शहर में टहलता रहा.
मेरे पैरों पर लदी हुई थीं सड़कें, और एक झील था आसमान
जिसमें आँखों की मछलियाँ और बादलों के इशारे और जन्तु
तैर रहे थे । हडसन नदी फड़फड़ा रही थी कोयल की देह पहने किसी
कौव्वे जैसी । भोर आई मुझ तक, एक कराहता हुआ बच्चा
अपने घाव दिखाता हुआ । मैंने रात को पुकारा, पर उसने जवाब नहीं दिया ।
उसने अपना बिस्तरा लादा और फुटपाथ पर आत्मसमर्पण कर दिया । तब
मैंने देखा उसे अपने आप को एक हवा से ढँकते हुए … एक चीख़, दो
चीख़ें, तीन … और न्यूयॉर्क नज़र आया किसी अधजमे
मेढक-सा जो कूदा बगैर पानी के एक तालाब में।
लिंकन
वह न्यूयॉर्क है : बुढ़ापे की बैसाखी पर झुका हुआ
चहलक़दमी करता हुआ स्मृति के बग़ीचों में, जबकि सारी चीज़ें देख रही हैं
नक़ली फूलों की और । और जब मैं तुम्हें ध्यान से देखता हूँ
वाशिंगटन में संगमरमर के बीच, और तुम्हारा ‘डबल’ देखता हूँ हार्लेम में, मैं
सोचा करता हूँ : कब आएगा तुम्हारी अपरिहार्य क्रान्ति का समय ?
मेरी आवाज़ उठती है : लिकन को संगमरमर की सफ़ेदी से मुक्त करो,
मुक्त करो निक्सन से, पहरेदार-कुत्तों और शिकारी-कुत्तों से । नई आँखों से
उसे पढ़ने दो ज़ेन्ज के नेता ‘अली ब मुहम्मद को; उसे क्षितिज पढ़ने दो
जिसे मार्क्स, माओ त्से-तुंग ने पढ़ा था, और अल-निफ़ारी, वह पवित्र पागल जिसने धरती को इतना छरहरा बना दिया था कि वह शब्द और रूपक के बीच बसी रह सकती थी । और उसे पढ़ने दो जो हो ची मिन्ह पढना चाहते थे, ‘उरवा ब अल-वरद :
मैं बाँट लेता हूँ अपने शरीर को कई शरीरों में … , ‘उरवा
बग़दाद को नहीं जानता था, और उसने दमिश्क जाने से इनकार कर दिया होता. वह वहीं रहा
जहाँ रेगिस्तान भी एक और कन्धा था उसी के जैसा मृत्यु के बोझ
को उठाए । भविष्य को प्रेम करने वालों के लिए वह छोड़ गया सूरज का एक हिस्सा डूबा हुआ एक हिरन के रक्त में जिसे वह “मेरी जान!” कहा करता था. उसने क्षितिज से
उसका आख़िरी घर बन जाने के बारे में समझौता कर लिया था ।
लिंकन
वह न्यूयॉर्क है : एक आईना जिसमें वाशिंगटन के अलावा कुछ प्रतिबिम्बित नहीं होता ।
और यह वाशिंगटन है : एक आईना प्रतिबिम्बित करता हुआ दो चेहरे -–
निक्सन और संसार का रुदन । प्रवेश करो
रुदन के नृत्य में; उठो, अभी एक और भूमिका के वास्ते जगह है … मैं किस कदर पसन्द करता हूँ रुदन के नृत्य को जो एक फ़ाख्ता बनता है और फ़ाख्ता जो बाढ़ बन जाता है. धरती को एक बाढ़ की ज़रुरत है ।
मैंने रुदन कहा लेकिन मेरा आशय क्रोध से था । मेरा आशय इन सवालों से भी था :
मैं अल-मआरा को कैसे राजी कर सकूँगा वह अबू अल-अला को स्वीकार कर ले ; फ़रात के मैदान फ़रात को ? मैं हेलमेट को कैसे बदल सकूँगा मकई कई बाली से ? (पैगम्बर और पवित्र पुस्तक की तरफ़ दूसरे सवालात तो उछाले जाने ही होंगे),
मैं यह कह रहा हूँ और देख रहा हूँ एक बादल अपना शृंगार कर रहा है आग के हार से ;
मैं यह कह रहा हूँ और देख रहा हूँ आँसुओं की तरह बहते आते लोगों को ।