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न अब लबों पर वह शोखियाँ हैं / रंजना वर्मा
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न अब लबों पर वह शोखियाँ हैं
न वह निगाहों में मस्तियाँ हैं
बुरी नज़र लग गयी किसी की
उजड़ गयीं सारी बस्तियाँ हैं
चलो मिटा डालें बढ़ के दोनों
जो फ़ासले अपने दरमियाँ हैं
ज़माना देखा है हम ने यारों
तभी तो चेहरे पर झुर्रियाँ हैं
लगा लो सीने से बढ़ के हमको
ये माना कुछ हममें खामियाँ हैं