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न करना सोग या मातम / देवी नांगरानी
Kavita Kosh से
न करना सोग या मातम, न मेरी मौत पर रोना
मनाना तुम न हर्गिज़ ग़म, न मेरी मौत पर रोना
छलक पड़ते हैं ये आँसू, न जाने कब कहां कैसे
मगर करना न आँखें नम, न मेरी मौत पर रोना
सजाओ तुम भले अर्थी, उठाओ चाहे कांधो पर
न पसरे सोग का आलम, न मेरी मौत पर रोना
ज़माना आएगा सारा जनाज़ा देखने मेरा
हो दुश्मन, या मिरा हमदम, न मेरी मौत पर रोना
फिज़ा ग़मगीन मत करना, न दिल पर बोझ रखना कुछ
सुरीली छेड़ना सरगम, न मेरी मौत पर रोना
न ठंडी आह तक भरना, न ग़म का ‘देवी’ ग़म करना
रहो ख़ुशहाल तुम हरदम, न मेरी मौत पर रोना