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न गाँधी पर भरोसा है न गौतम पर / अशोक रावत

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न गाँधी पर भरोसा है न गौतम पर भरोसा है,
ज़माने को मगर बंदूक के दम पर भरोसा है.



तुम्हारी बात तुम जानो, मैं अपनी बात करता हूँ
मुझे अब भी अहिंसा और संयम पर भरोसा है.



ये अपनी साख पर बट्टा कभी लगने नहीं देंगे,
मुझे अपने चिनारों और झेलम पर भरोसा है.



जहाँ तक बात है इन देवताओं पर भरोसे की,
भरोसा तो मुझे भी है मगर कम पर भरोसा है.



हवा नम हो रही है पास ही होंगे कहीं बादल,
किसी को हो न हो पेड़ों को मौसम पर भरोसा है.