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न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए / शैलेन्द्र
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न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए
सपनों के मेहमान बनके मेरे दिल में आ गए
धीरे-धीरे मेरी दुनिया पे छा गए
न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए
सब ये पूछेँ बलम का क्या नाम है
जिसके तुम चन्द्रमा कौन-सा धाम है
मैं न कुछ कह सकूँ, प्यार बदनाम है
न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए
आज सपने में तुमसे ना बोलूँगी
मीठी-मीठी हँसी पे ना डोलूँगी
कैसे जाओगे अँखियाँ ना खोलूँगी
ना जाने तुम कौन …
मन में जो साजना तेरी तस्वीर है
ये मेरी सारी ख़ुशियों की तस्वीर है
तेरी तस्वीर ही मेरी तक़्दीर है
न जाने तुम कौन …
(फ़िल्म - पटरानी 1956)