भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए
सपनों के मेहमान बनके मेरे दिल में आ गए
धीरे-धीरे मेरी दुनिया पे छा गए
न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए
सब ये पूछेँ बलम का क्या नाम है
जिसके तुम चन्द्रमा कौन-सा धाम है
मैं न कुछ कह सकूँ, प्यार बदनाम है
न जाने तुम कौन मेरी आँखों में समा गए

आज सपने में तुमसे ना बोलूँगी
मीठी-मीठी हँसी पे ना डोलूँगी
कैसे जाओगे अँखियाँ ना खोलूँगी
ना जाने तुम कौन …

मन में जो साजना तेरी तस्वीर है
ये मेरी सारी ख़ुशियों की तस्वीर है
तेरी तस्वीर ही मेरी तक़्दीर है
न जाने तुम कौन …

(फ़िल्म - पटरानी 1956)