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न टूटे भरम ज़िन्दगी भर सुहाना / कैलाश झा ‘किंकर’

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न टूटे भरम ज़िन्दगी भर सुहाना
बनेगा भरम से तेरा इक फसाना

बिना खोए ख़ुद को समाओगे कैसे
नयन नीर बनकर है सरिता बहाना।

फसाने बहुत हैं मुहब्बत के लेकिन
फसाना मेरा ख़ुद ही गाता तराना।

भरोसा है वादों पर भरपूर मेरा
गले से मुहब्बत को अब है लगाना।

हुआ मैं तुम्हारा तू मेरी हुई है
तुम्हीं से भला क्या है मुझको छुपाना।

छुपाऊँगा तुमको ज़माने से दिल में
क़दम डगमगाए तो मुझको बचाना।