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न दिल में दिया न आँख में रोशनी / केदारनाथ अग्रवाल

आदमी डूब गए
सिर की उल्टी नावों में
बिना डूबे
अपार सागर में

न दिल में दिया
न आँख में रोशनी
इतिहास लिख गया अँधेरे का
डूबने-डूबने का

रचनाकाल: १३-०५-१९६८