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न पूछ क्या काम कर गई है / फ़िराक़ गोरखपुरी

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न पूछ क्या काम कर गई है,
दिलो-नज़र में उतर गई है.

तेरी नज़र सब को आज़माए,
तेरी नज़र कौन आज़माए.

शिगुफ़्ता१ दिल को न कर सकेगा,
रुका-रुका ज़ेरे-लब तबस्सुम२.

मैं उन लबों पर कभी तो देखूँ,
वो मुस्कुराहट जो मुस्कुराए .

हयाते-फ़ानी३ से बढ़ के फ़ानी,
निगाहे-बर्को-शरर४से कमतर.

ये इश्क़ है तो सलाम अपना,
यही वफ़ा है तो बाज़ आए.

तू इस तरह याद आ रहा है,
कि शामे-ग़म में मैं डर रहा हूँ.

कहीं न आ जाए मेरे दिल में,
वो याद जो तुझको भूल जाए.

हज़ारहा दिल तड़प-तड़प कर,
बयक अदा मिट के रह गये हैं.

न पूछ क्या उन दिलों पे गुज़री,
जो रह गये थे बचे-बचाए.

१. स्फुटित २. होठों में ही मुस्कुराना ३. नश्वर ४. चिंगारी भरी आँख