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न फोन, न चिट्ठी / रविकान्त
Kavita Kosh से
बंधु जो दूर रहते हैं
उन्हें चिट्ठियाँ नहीं लिखता
जिनसे रोज मिलने का मन करता हैं
उनसे भी
बहुत दिनों तक नहीं मिलता
फोन पर हाल भी नहीं पूछता उनका
सोचता हूँ
क्या हाल बताऊँगा अपना?
वे पूछेंगे...
कोई नया समाचार?
और क्या कर रहे हैं आजकल आप?
क्या सुनाऊँगा उन्हें?
क्या बताऊँगा?