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न बुलाओ तुम मुझे इस समय... / केदारनाथ अग्रवाल

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न बुलाओ तुम मुझे इस समय अपने पास

खोदनी है अभी मुझे

आसपास उग आई बेकार विचारों की घास,

तोड़ने हैं मुझे अभी

भाव की भूमि की कुंठा के बाँस,

जोड़नी है मुझे अभी

टूट चले जीवन की एक-एक साँस !

न बुलाओ तुम मुझे इस समय अपने पास !