भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पंचभूत / काका हाथरसी
Kavita Kosh से
भाँड़, भतीजा, भानजा, भौजाई, भूपाल
पंचभूत की छूत से, बच व्यापार सम्हाल
बच व्यापार सम्हाल, बड़े नाज़ुक ये नाते
इनको दिया उधार, समझ ले बट्टे खाते
‘काका ' परम प्रबल है इनकी पाचन शक्ती
जब माँगोगे, तभी झाड़ने लगें दुलत्ती