दमन के बादलों को चीर अब बिजली चमकती है, 
अँधेरा दूर होता है, नयी आभा दमकती है ! 
अथक जन-शक्ति के तूफ़ान छाये आसमानों पर 
कि गहरी धूल के कम्बल दिशाएँ ओढ़ती डर कर !  
सदा विद्रोह होता है, ज़माना जब बदलता है, 
नया संसार आता है, पुराना जीर्ण जलता है, 
न हिम्मत हारता इन्सान चाहे मौत मँडराये 
हज़ारों ज़िन्दगी के गीत उसने शान से गाये !  
भरे उत्साह, दुर्दम शक्ति, जीवन-वेग-नव दुर्धर 
नया इंसान पैदा हो गया है आज धरती पर, 
कि जिसके सामने प्रतिरोध आकर टूट जाता है, 
अनल जिसको बड़ा गहरा प्रबल सागर बताता है !  
चुनौती दे रहा वह भाग्य के निश्चित सितारों को, 
बनाया जा रहा फिर से सभी युग भग्न-तारों को, 
नया मनु बल समाया यांग्त्सी की स्वस्थ घाटी में 
नयी बस्ती बसी पीली पुरानी मूक माटी में !  
सुरंगें उड़ रहीं साम्राज्य शाहों ने बिछायीं जो, 
धसकती जा रही दीवार डॉलर ने उठायी जो, 
मिटेगा नस्ल का सिद्धान्त भी प्रत्येक कोने से 
टिकेगा अब नहीं उद्जन-बमों की फ़स्ल बोने से !