पढ़ो- पढ़ो अख़बार पढ़ो, समाचार दुमदार पढ़ो / जयप्रकाश त्रिपाठी
पढ़ो- पढ़ो अख़बार पढ़ो, समाचार दुमदार पढ़ो,
जन का बण्टाढार पढ़ो, धन की जय-जयकार पढ़ो।
झूठ-साँच सौ बार पढ़ो, सुबह-सुबह व्यभिचार पढ़ो,
नेता की ललकार पढ़ो, अफ़सर की हुँकार पढ़ो,
बाक़ी सब लाचार पढ़ो ....पढ़ो- पढ़ो, अख़बार पढ़ो।
महँगी-महँगी रेल पढ़ो, बिना टिकट के जेल पढ़ो,
विज्ञापन के खेल पढ़ो, तरह-तरह के तेल पढ़ो,
मँजे हुए मक्कार पढ़ो, ....पढ़ो-पढ़ो, अख़बार पढ़ो।
खूब कोढ़ में खाज पढ़ो, लूटपाट का राज पढ़ो,
खल के माथे ताज पढ़ो, चोर-घोटालेबाज़ पढ़ो,
राजनीति बटमार पढ़ो....पढ़ो-पढ़ो, अख़बार पढ़ो।
शान्ति-शान्ति का शोर पढ़ो, मार-काट चहुंँओर पढ़ो,
लबार, लम्पट, चोर पढ़ो, पूँजी आदमख़ोर पढ़ो,
भूँजी भाँग उधार पढ़ो, पढ़ो-पढ़ो अख़बार पढ़ो।
बेबस हिन्दुस्तान पढ़ो, मस्त माफ़िया-डान पढ़ो,
नटवर तोड़ें तान पढ़ो, नेता के गुणगान पढ़ो,
महिमा अपरम्पार पढ़ो..... पढ़ो-पढ़ो अख़बार पढ़ो।